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रविवार, 11 अप्रैल 2010

शोहरत...फिर भी दूसरी औरत

सानिया मिर्ज़ा जो चाहती थी आखिर वो हो गया। एक घर टुटा और उनके घर की नीव रख गई। उनका चेहरा देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है की वो टूटे घर की नींव से अपने घर का निर्माण करने पर कितनी गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। पुरानी इंटो से महल का सपना सजाने वाली अकेली सानिया नहीं है। इससे पहले भी कई सानिया हुई हैं जिन्होंने एक घर तोड़कर अपना घर खड़ा किया। सानिया और शोइब का जो ड्रामा पिछले दिनों खत्म हुआ उसने फिर एक बार अपने पीछे एक सवाल छोड़ दिया की आखिर शोहरत प्राप्त औरतों को दूसरी औरत का ही दर्ज़ा क्यूँ मिलता है? इससे पहले हमारी फ़िल्मी दुनिया ऐसी औरतो से भरी हुई है जहाँ उनके पास सबकुछ था फिर भी उन्होंने किसी शादीशुदा आदमी को अपना जीवनसाथी चुना। फिर चाहे वो हेमा मालिनी हो या श्रीदेवी या फिर आज के दौर की रानी मुखर्जी क्यूँ ना हो, अगर देखा जाये तो उनके पास किस बात की कमी थी, पैसा था, खूबसूरती थी, शोहरत थी सिर्फ नहीं था तो शायद एक परफेक्ट एलिजिबल बचेलोरnनहीं था।
इससे पहले भी नर्गिस का नाम राज कपूर के साथ जुड़ा था। बस शायद नर्गिस अपने संस्कारों के साथ समझोता नहीं कर सकी और उन्होंने इस रिश्ते को शादी का नाम देना जरुरी नहीं समझा क्यूंकि राज कपूर शादीशुदा थे। ऐसे प्यार को सलाम। प्यार तो किसी से भी हो सकता है लेकिन उसका मतलब अपने प्यार के लिए किसी दूसरी औरत के संसार को उजाड़ना कहाँ की समझदारी है?
वही गुरु दत्त, गीता दत्त के रिश्ते में वहीदा रहमान ने उस दूसरी औरत की भूमिका निभाई जिसने न सिर्फ एक घर तोडा बल्कि एक प्रतिभाशाली इंसान को भी तोड़कर रख दिया। करिश्मा कपूर की बात करें तो उन्होंने भी अपनी ही सहेली के तलाकशुदा पति को जीवनसाथी चुना। रानी मुखर्जी भी उसी राह पर हैं। आदित्य चओपरा का घर वो तोड़ चुकी हैं। ये वही घर है जहाँ रानी किसी परिवार के सदस्य की तरह आती जाती थी लेकिन तब किसी ने ये नहीं सोचा होगा की यही लड़की उनके घर को तोड़ देगी।
कहने वाले ये भी कह सकते हैं की इसमें दोष उस पुरुष का भी है जो अपनी बीवी का नहीं हो सका। बात सही भी है लेकिन सवाल ये भी है की क्या एक औरत होकर दूसरी औरत का दर्द महसूस नहीं किया जा सकता? क्यूँ एक औरत ये नहीं सोच पति की जो आदमी अपनी बीवी और बच्चो का नहीं हुआ वो उसका भी कितना और कब तक साथ निभाएगा? क्यूँ इन् औरतो को सफल और आत्म निर्भर होने के बाद भी 'दूसरी औरत' कहलाने से परहेज़ नहीं है?
अगर इन मामलो का मनोविज्ञानिक विश्लेषण करें तो केवल एक ही बात समझ आती है की ये वो औरतें हैं जो आत्म निर्भर होने के बाद भी असुरक्षित महसूस करती हैं और उन्हें किसी ऐसे पुरुष का संरक्षण चाहिए होता है जो उनका कैरिअर चोपट हो जाने के बाद भी उन्हें सुर्ख़ियों में रख सके। मसलन जिस दिन वो स्टार न रहे तो वो एक एक्स स्टार की बीवी के रूप में जिंदा रहे। साथ ही आर्थिक सुरक्षा की भी चिंता उनहे सताती है। ऐसे में वो एक ऐसे नामी गिरामी पुरुष को तलाशती हैं जो उन्हें हर सुरक्षा दे सके फिर चाहे वो शादीशुदा ही क्यूँ न हो।
ऐसे में जो औरतें समय पर शादी कर लेती हैं उन्हें तो एक एलीजिबल बच्लोर मिल जाता है लेकिन जो कैरिअर के चलते ढलती उम्र में शादी का फैसला करती हैं उनके पास विकल्प काफी सीमित हो जाते हैं।
हालांकि सानिया का मामला इससे अलग है क्यूंकि उनके साथ उम्र वाली बात लागू नहीं होती लेकिन वो जिस बिरादरी से हैं वहां शादी के लिए उनकी उम्र काफी ज्यादा हो चुकी है। लेकिन शायद वो सुरक्षा वालइ बात यहाँ भी लागु होती है नहीं तो ऐसा प्यार समझ से परे है की करीब ८ महीने पहले सगाई किसी और से, तीन महीने पहले अचानक सगाई तोडना और फिर ये प्यार का पैंतरा....शायद सानिया को भी लग गया थाकी शादी के बाद उनके खेलने पर संकट खड़ा हो सकता है ऐसे में किसी स्टार से शादी करके हर तरह की सुरक्षा मिल सकती है

प्रतीक्षा

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !! बहुत ही वाजिब तरीके से उठाया गया एक मुद्दा ! सानिया का अपनी सगाई तोड़ने के पीछे सिर्फ यही एक कारण था कि सानिया, और सभी सफल स्त्रियों कि तरह अपना एक स्पेस चाहती थी, जो कि उन्हें उस परिवार से जुड़कर पाना मुश्किल लगा ! एक सेलेब्रिटी दूसरे सेलेब्रिटी से जुड़कर रिश्तों में भी professionalism चाहता है .. आप अगर hollywood में ब्रैड पिट और अंजेलिना जोली के रिश्ते को देखें तो पता लगेगा कि शादी भी कितना professional रिश्ता हो सकता है! जहां हर वैवाहिक रिश्ते कि बुनियादी ज़रूरतें ही पहले से तय की गयी हों... बाकायदा एक कांट्रेक्ट साईन करके !! एक सेलेब्रिटी के लिए आज़ादी से बढ़कर कुछ भी नहीं होता और एक औरत सेलेब्रिटी के लिए तो ये और भी ज़रूरी है !

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  2. Bahut jvalant mudde ke sath apane hindi blog jagat men pravesh kiya hai. bahut achchha vishleshan bhee kiya hai apne is lekh men....hindi blog jagat men apka svagat karate huye khushee ho rahee hai.

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  3. punam ji bahut shukria iss hausla afzai ka....apka maargdarshan hamesha apekxhit hai
    shukria

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  4. very well compiled write up. A nice one to read. keep it up, expect much more in future!!

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  5. सबसे पहले तो तजा ज्वलंत मुद्दे पर लिखने के लिए और अछि लेखनी के लिए बधाई..

    पर के शक-सुबहा हो रहा है आपके नाम को लेकर, क्योंकि लिखने की मनोबिज्ञान को ले तो एक लेखक ही ऐसा लिखा सकता है.

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  6. वाह क्या बात है....एक लाजवाब लेख.....कई दिनों से मैं भी ऐसा ही कुछ सोच रहा था मगर कह या लिख नहीं पा रहा था....यह बात बेहद महत्वपूर्ण है जिस पर किसी "स्त्रीलिंग"द्वारा लिखा जाना ही समीचीन मालूम होता है....क्यूँ पुरुष द्वारा ऐसी बात उठाये जाने पर बात उसी के ऊपर उलट दी जाती...खैर एक विचारणीय मुद्दे पर सटीक विचार के लिए बधाई.....!

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  7. shukria ganesh ji aur bhutnath ji,,,,,ganesh ju shaq kaisa? hum lekhak hi hain to fir naam ko lekar sanshay kaisa??

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  8. Pratiksha ji apka point sach mein bahut hi samayik aur prasangik hai.Apne jo bbat uthai hai aur jis prakar uska vivechan kiya hai, vakai lajawab hai. Aap ko hum sabhi jald hi ek bade COLUMNIST ke roop me bhi dekhna pasand karenge. I wish u all the best.Apka blog padhne per mere dimag me bhi kuch tark ubhar aaye , kripya dhyan jarur dijiega...
    Jiavnsathi ko humsafar bhi kahte hain. Humsafar wo hota hai jo sath chal sake. Iske liye jaruri hai ki pati patni dono me saman teji honi chahiye, nahi to jindagi ki rafter dhimi aur bojhil ho jati hai. Jivan bhar sath chalne ke liye apas me appeal aur understanding ka hona bahut hi jaruri hai. Dono ko ek dusre ki kami mahsus hote rahna chahiye, tab jakar hum hasi khusi jivan bhar sath rah paate hai, anytha sadiya toot jati hai. Aj ke samaj me dharm aur naitikta ka sthan tark badi teji se leti ja rahi hai.Pdhe likhe logo me tark havi hota hai, jo uspar khara nahi utarta ,aise log usko nakarne lagte hai bhale hi samaj naitikta aur dharm ki duhai deta rahe.Aj ka kanoon bhi aise tark ko hi badhava deta hai.
    Ab aatein hai mudde par…ki aakhir sohrat pane ke baad bhi mahilayo ko aakhir dusri patni banana me koi aitraz nahi hota , bhale hi isse kisi ka ghar toot raha ho..Mere vichar se jivan sathi ke sandarbh me pahli ,dusri ya tisri aadi bato ka koi matlab aaj ke daur me nahi rah jata., agar do logo ka dil milta hai to number adi ka koi arth nahi rah jata hai.Jaruri nahi ki kisi ki ek sadi toot gayee ho to wo fir kisi ke sath jivan bhar nahi chal sakta.
    Rahi baat ghar tutne ki, to ghar tabhi toot jata hai jab usme daraa pahle se pad gayee ho, ya diware kamjoor ho, neev majboot na ho., mera kahne ka matlab hai ki agar pati patni me appeal nahi rah gayee, ya understanding nahi rah gayee, jindagi sath bitana bojh ban gaya ho to kise dusre person se naye rishte ban jana svabhavik hai, apko jaha sukun milega aap waha jaoge hi.In bato se patnio ko jyada nuksan issliye hota hai ki unko dusra jiwan sathi dhoondh pana mushkil hota hai aur wo aarthik roop se bhi abhi mazboot nahi hain.Western desho me dekh lijiye , waha mahilaye bhi khoob partner badalti hai., jab tak kisi sath me appeal aur understanding hai wo sath chalet hai nahi to alag ho jate hai.
    Aaj jab hum sabhi western pattern ki padhai aur jivan shaile apna liye hai to kuch use related parinam bhi to samne honge.Shadi ke sandarbh me soch aaj badal gaye hai, ab patni ke liye bhi to pati parmeshwar nahi rah gaya , aaj wah life-partner aur friend jaisa maana jata hai.sadi ke baad bhi pati patni aaj ke daur me kai anya opposite sex ke logo se sampark me haote hai ya dosti rakhte hai, aaj agar apke vartman vaivahik jiwan me agar nirashta hai to kisi dusre person ke prati appeal ho jana badi baat nahi.
    Kewal surkhiya batorne ke liye iss koi mahila dusre number ki biwi ban jana swikar krti hai , aisa nahi hai ,ya kabhi kuch mamlo me 1 point ho bhi sakta hai. Asli baat to appeal,understanding and lifetime security ki hi hoti hai.
    Mudda asan nahi hai jaldi khatm kar paana ,issliye mazburi bas ek baat aur kah ker khatm karunga…
    Mismatch jivansathi jiwan bhar saath nahi nibha paate hai.
    Plz never mind if anyone doesn,t agree with me!
    AAP KO bahut bahut dhanyad pratiksha ji !!!!!!!!!

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  9. apka match mismatch to nahi hai ye shadi se pehle decide karna chahiye. aur agar apki kisi se nahi nibh rahi hai to iska matlab ye nahi ki jiski zindgi theek chal rahi hai usi ka ghar ujado. agar shadi ke number se koi fark nahi padta to surya ji maaf kijiyega....fir insaan aur jaanvaro mein antar kya hua??
    rahi baat paschim ke anusaran ki aur iske adaar par koi ise jayaj tehrata hai to fir bujurgo ko aulad dwaraa ghar se vridh aashram bhej dene ko bhi ap apni sweekarokti pradaan karenge ya fir ek chote bachche ko daant padne par uska apne pita ke khilaf police compliant bhi justify kar rahe honge. agar ap in sabhi cheezo ko sahi maante hain to fir ye pashchim ka andhanukaran kaha ja sakta hai aur agar baki do baaton se sehmat nahi hain to fir shadi ko khel banaana kahan tak jayaj hai. aise logo ko fir live in mein jana chahiye....

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  10. द्विवेदी जी यहाँ आपके विचारों की अस्पष्टता ने आपके विचारों की बहुलता की अच्छाई को पूर्णतया दबा दिया है ! आपके पास विचारों का पर्याप्त भंडार है.. बहुत अच्छी बात है.. पर जैसा मैंने अभी कहा कि सोच की स्पष्टता कि कमी दिखायी देती है! हम भारतीयों के लिए विदेशी तरीके की पढाई और उनकी जीवन शैली को अपनाने के पीछे, जहाँ तक मैं समझता हूँ , यह सोच कभी नहीं रही कि हम उनकी हर बात का अन्धानुकरण करने लगें ! उनका धर्म उन्हें क्या सिखाता है या वो कैसे ज़िन्दगी जीते हैं .. इस बात में होड़ करने के लिए तो कभी नहीं ! हाँ, उस शैली के कुछ दुष्परिणाम सामने हैं और आप भी बहुत से भारतीय पुरुषों कि तरह भयभीत हो रहें हैं .. "भारतीय स्त्री के सशक्तिकरण से "! अगर में सच कहूँ तो भारतीय पुरुष अभी इसके लिए तैयार नहीं है ...फिर भी इसे भारतीय स्त्री कि महानता समझिये कि वो फिर भी आपका साथ देने के लिए तैयार है...हम भारतीय हैं और ये बात भारतीय पुरुष से ज्यादा भारतीय स्त्री समझती है.. आशा है मेरे विचारों ने आपको कष्ट नहीं दिया होगा ! धन्यवाद !

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  11. acha article ha. tmha badhai. darashal tmana bahut acha mudda utha ha. article ko acha response mila ha

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  12. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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