ऐ ज़िन्दगी कभी तो गले लगा,
दुलार , संवार , प्यार कर ,
कभी तो सख्त पिता की सबक सिखाने वाली भूमिका से निकल ,
माँ सा निश्चल वात्सल्य भर ,
माना कि तू कड़वी कसेली दवाई सी है ,
पर कभी तो मीठी सी लज्जत भी दे ,
ऐ ज़िन्दगी क्यूँ तेरी पाठशाला के इमतिहान खत्म नहीं होते ,
पिछली परिक्षाओं के परिणाम भी तो दे दे ,
जब भी इच्छाशक्ति की कलम से हौसलों के काग़ज़ पर कुछ लिखती हूँ ,
तू पुराना कागज छीन कर नया प्रश्न पत्र थमा देती है ,
ऐ ज़िन्दगी कहते हैं की सांसो के मोती पिरोकर ही जीवन बनता है ,
तो इतनी बेरहम ना बन , थोड़ा सांस तो लेने दे ,
ऐ ज़िन्दगी ....
----प्रतीक्षा -----
दुलार , संवार , प्यार कर ,
कभी तो सख्त पिता की सबक सिखाने वाली भूमिका से निकल ,
माँ सा निश्चल वात्सल्य भर ,
माना कि तू कड़वी कसेली दवाई सी है ,
पर कभी तो मीठी सी लज्जत भी दे ,
ऐ ज़िन्दगी क्यूँ तेरी पाठशाला के इमतिहान खत्म नहीं होते ,
पिछली परिक्षाओं के परिणाम भी तो दे दे ,
जब भी इच्छाशक्ति की कलम से हौसलों के काग़ज़ पर कुछ लिखती हूँ ,
तू पुराना कागज छीन कर नया प्रश्न पत्र थमा देती है ,
ऐ ज़िन्दगी कहते हैं की सांसो के मोती पिरोकर ही जीवन बनता है ,
तो इतनी बेरहम ना बन , थोड़ा सांस तो लेने दे ,
ऐ ज़िन्दगी ....
----प्रतीक्षा -----
जिंदगी का सरल और सुंदर दर्पण दिखाने के लिए शब्दों का बेहतरीन ताना-बाना
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