aurat

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बुधवार, 28 मार्च 2018

बिखरे रिश्तो को करीने से सजाया जाए .....

अरसे से बिखरे रिश्तो  को फिर करीने से सजाया जाए  ,
बात -बेबात जो रूठे हैं, आज उन सभी को मनाया जाए,

रंजिशे, शिकवे और शिकायत से कब किसका भला हुआ है ,
क्यों ना मुस्कुराकर आज इन सबको भूलाया जाए ,

रिश्तो की अदालत  के कटघरे में अपने ही तो खडे  हैं ,
आओ खुद को हारकर  अपनो को जिताया  जाए ,

अच्छा - बुरा , सही - गलत , सबके अपने हैं पैमाने,
छोडो  ये सब, आज दिलों को दिलों से मिलाया  जाए,

ना जाने कौन सा लम्हा ज़िन्दगी मुकम्मल कर दे ,
मरने से पहले एक बार तो  खुलकर ज़िन्दगी  को गले लगाया  जाए ,

इसका - उसका , तेरा - मेरा बेमतलब के किस्से हैं ,
चलो आदमियत छोडकर  इंसानियत को अपनाया  जाए

बिखरे रिश्तो  को करीने  से सजाया  जाए .....

------प्रतीक्षा ------

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी पोस्ट कौरव पांडव को भी आपसी प्रेम से जीने के लिए उनका हृदय परिवर्तन करने में सक्षम है प्रतीक्षा जी....अद्भुत लेखन।।

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  2. अति सुन्दर एवम् धरातल से मेल खाता हुआ लेखन ।

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